चोवा राम "बादल " के कुकुभ छंद
योग करव
मनखे ला सुख योग ह देथे, मन बगिया हा हरियाथे ।
योग करे तन बनय निरोगी, धरे रोग हा मिट जाथे ।1।
सुत उठ के जी रोज बिहनिया, पेट रहय जी जब खाली ।
दंड पेल अउ दउँड़ लगा के, हाँस हाँस ठोंकव ताली ।2।
रोज करव जी योगासन ला , चित्त शांत मन थिर होही ।
अंतस हा पावन हो जाही ,तन सुग्घर मंदिर होही ।3।
सुग्घर अनुलोम करव भाई , साँस नाक ले ले लेके ।
कुंभक रेचक श्वाँसा रोंके, अउ विलोम श्वाँसा फेके ।4।
प्राणायाम भस्तिका हावय, बुद्धि बढ़ाथे सँगवारी ।
अग्नि सार के महिमा हावय, भूँख बढ़ाथे जी भारी ।5।
हे कपाल भाती उपयोगी , अबड़ असर एकर होथे ।
एलर्जी नइ होवन देवय , सुख निंदिया रोगी सोथे ।6।
कान मूँद के करव भ्रामरी ,भँवरा जइसे गुंजारौ ।
माथा पीरा दूर भगाही , सात बार बस कर डारौ ।7।
ओम जपव उदगीत करव जी ,फेर शीतली कर लेहौ ।
रोज रोज आदत मा ढालव , आड़ परन जी झन देहौ ।8।
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