चोवा राम "बादल " के चौपई(जयकरी )छंद
हिंदी महिना के शुरुआत ,जग जेंवारा जोत जलात ।
चैत रामनवमी त्यौहार, रचिस विधाता ए संसार ।1।
कोयल गुरतुर बोली भाख, जल्दी आ कहिथे बैसाख ।
गाँव गाँव मा होय बिहाव, सुरुज बतावय अब्बड़ ताव ।2।
जेठ बड़ोरा लावय झाँझ, व्याकुल करै सुबे अउ साँझ।
जरय भोंभरा निकलत खोर ,सुक्खा तरिया नदिया बोर ।3।
गरजय बादर आय असाढ़, नदिया ग्रासै आवै बाढ़ ।
खेत किसनहा बोंवय धान, नाँगर बइला धरे मितान ।4।
सावन महिना बड़ मन भाय, रिमझिम रिमझिम गीत सुनाय।
नोनी हाँसय झूला झूल , खोपा खोंच तरोई फूल ।5।
भादो महिना जब भदराय, बेटी मन मइके तब आय।
तीजा तिन दिन रहैं उपास, करू करेला खावैं खास ।6।
पितर मनाथन महिना क्वार, कातिक रिगबिग दीया बार ।
देवारी के होवय सोर, राउत नाचैं बइहाँ जोर ।7।
अगहन पूस म लू के धान, खरही गाँजै मिंजै किसान ।
मेला माघ होय हर साल, फागुन मातै रंग गुलाल ।8।
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