Tuesday 7 August 2018

समाचार पत्र (लावणी छंद )

चोवा राम "बादल" के लावणी छंद

     समाचार पत्र

समाचार ला पढ़े करव जी, एमा ज्ञान भरे रहिथे ।
कहाँ कहाँ जी काय होय हे, खबरी कोन काय कहिथे ।1।

कहाँ घटे हावय दुर्घटना , अनहोनी होइस कइसे ।
एला पढ़े पता चल जाथे ,आगू मा होइच जइसे ।2।

कविता के रस लेवव भाई , किस्सा लेख पढ़व संगी ।
रथे हिरोइन के फोटू जी , खबर सिनेमा बहुरंगी ।3।

शादी के विज्ञापन रहिथे , अता पता दुनियादारी ।
राजनीति के चर्चा रहिथे , शासन भासन के चारी ।4।

पढ़ई लिखई लइका मन के, आंदोलन धरना रैली ।
भ्रष्टाचार  कहाँ होवत हे , कोन भरत हावय थैली।5।

पानी बादर धूँका गर्रा , नदिया के बाढ़े पूरा ।
अइसन खबर घलो मिल जाथे , भागिन कब टूरी टूरा ।6।

बलत्कार अउ लूट डकैंती , मारपीट झगरा झंझट ।
आतंकी मन के जी लफड़ा , नक्सल के भारी कंझट ।7।

पत्र पत्रिका ज्ञान बढ़ाथे , हवय महत्तम गा भारी ।
रोज पढ़व जी ध्यान लगाके , झन करहू गा लाचारी ।8।

Saturday 4 August 2018

योग करव (कुकुभ छंद )

चोवा राम "बादल " के कुकुभ छंद
       
          योग करव

मनखे ला सुख योग ह देथे, मन बगिया हा हरियाथे ।
योग करे तन बनय निरोगी, धरे रोग हा मिट जाथे ।1।

सुत उठ के जी रोज बिहनिया, पेट रहय जी जब खाली ।
दंड पेल अउ दउँड़ लगा के, हाँस हाँस ठोंकव ताली ।2।

रोज करव जी योगासन ला , चित्त शांत मन थिर होही ।
अंतस हा पावन हो जाही ,तन सुग्घर मंदिर होही ।3।

सुग्घर अनुलोम करव भाई , साँस नाक ले ले  लेके ।
कुंभक रेचक श्वाँसा रोंके, अउ विलोम श्वाँसा फेके ।4।

प्राणायाम भस्तिका हावय, बुद्धि बढ़ाथे सँगवारी ।
अग्नि सार के महिमा हावय, भूँख बढ़ाथे जी भारी ।5।

हे कपाल भाती उपयोगी , अबड़ असर एकर होथे ।
एलर्जी नइ होवन देवय , सुख निंदिया रोगी सोथे ।6।

कान मूँद के करव भ्रामरी ,भँवरा जइसे गुंजारौ ।
माथा पीरा दूर भगाही , सात बार बस कर डारौ ।7।

ओम जपव उदगीत करव जी ,फेर शीतली कर लेहौ ।
रोज रोज आदत मा ढालव , आड़ परन जी झन देहौ ।8।

Thursday 2 August 2018

हाय गरीबी ( सार छंद )

चोवा राम "बादल"के सार छंद

हिरदे भितरी परगे हावय, देखव संगी छाला ।
हाय गरीबी बैरी होगे, आँखी छागे  जाला ।1।

जाँगर टोर कमाथन कतको, मिलय नहीं जी पसिया ।
लूट डरत हे मँहगाई हा, रोवय भइया घसिया।2।

नेता मन बस घूम घूम के, करते रहिथें वादा ।
झोरत हें उन आनी बानी, छोंड़ हमर बर खादा ।3।

बनत योजना सरकारी हे, रंग रंग के भारी ।
धन खुसरत हे बड़का मन घर, सुन्ना हमर दुवारी ।4।

काकर आगू रोवन गावन , दुःख सुनावन काला ।
भैरा हे सरकार निचट गा, बइठे पहिरे माला ।5।

शिक्षा के हथियार उबा के, हम तो कइसे लड़बो ।
सुन के फीस छाय बेहोशी, काला काला भड़बो ।6।

सेठ सकेले भरे खजाना, चपके  भर्री धनहा ।
पथरा पटकय हमरे छाती, साहत हवन किसनहा ।7।

मिलजुल के सब लड़बो भाई, तभे पार ला पाबो ।
हक ला अपन झटकबो जब जी , तब दू कौंरा खाबो।8।

अँधियारी ला काट (विष्णु पद छंद )

चोवा राम "बादल" के विष्णु पद छन्द

अँधियारी ला काटत भाई, आगू हे बढ़ना।
दुख के परवत रसता रोंके, तभो हवय चढ़ना।1।

आत्मबली के हिम्मत देखे, बनत
जथे रसता ।
कभू मिहनती के नइ होवय, हालत हा खसता ।2।

मन में हार कभू झन मानौ,मनहुसिया बनके ।
मुँह ओथारे काबर रहिथव, रेंगव गा तनके।3।

खेल खेल मा हो जाथे जी,  बूता हा बड़का ।
हँसी खुशी के डारत राहव, जिनगी मा तड़का ।4।

दँउड़ लगाथे आत्मबली हा, भले हवय लँगड़ा ।
ठुठवा ला कोनो गम नइये, नाचै वो भँगड़ा ।5।

अँधवा हा दुनिया ला देखै, जगा नेत्र तिसरा ।
स्वर्ण पदक जीतै कोनो जी, सबो कमी बिसरा ।6।

घोर गरीबी के फाँदा ला, टोरय वो मनखे ।
श्रम साहस धीरज के भाखा, निसदिन  जेन भखे ।7।

हवय आत्मबल के महिमा जी, भारी सब गुन मा ।
चाँद सितारा अमरा जाही, वोकर जी धुन मा ।8।

Wednesday 1 August 2018

बारह मासी(जयकारी छंद)

चोवा राम "बादल " के चौपई(जयकरी )छंद

हिंदी महिना के शुरुआत ,जग जेंवारा जोत जलात ।
चैत रामनवमी त्यौहार, रचिस विधाता ए संसार ।1।

कोयल गुरतुर बोली भाख, जल्दी आ कहिथे बैसाख ।
गाँव गाँव मा होय बिहाव, सुरुज बतावय अब्बड़ ताव ।2।

जेठ बड़ोरा लावय झाँझ, व्याकुल करै सुबे अउ साँझ।
जर भोंभरा निकलत खोर ,सुक्खा  तरिया नदिया बोर ।3।

गरजय बादर आय असाढ़, नदिया ग्रासै आवै बाढ़ ।
खेत किसनहा बोंवय धान, नाँगर बइला धरे मितान ।4।

सावन महिना बड़ मन भाय, रिमझिम रिमझिम गीत सुनाय।
नोनी हाँसय झूला झूल , खोपा खोंच तरोई फूल ।5।

भादो महिना जब भदराय,  बेटी मन मइके तब आय।
तीजा तिन दिन रहैं उपास, करू करेला खावैं खास ।6।

पितर मनाथन महिना क्वार, कातिक रिगबिग दीया बार ।
देवारी के होवय सोर, राउत नाचैं बइहाँ जोर ।7।

अगहन पूस म लू के धान, खरही गाँजै मिंजै किसान ।
मेला माघ होय हर साल, फागुन मातै रंग गुलाल ।8।