Thursday 2 August 2018

हाय गरीबी ( सार छंद )

चोवा राम "बादल"के सार छंद

हिरदे भितरी परगे हावय, देखव संगी छाला ।
हाय गरीबी बैरी होगे, आँखी छागे  जाला ।1।

जाँगर टोर कमाथन कतको, मिलय नहीं जी पसिया ।
लूट डरत हे मँहगाई हा, रोवय भइया घसिया।2।

नेता मन बस घूम घूम के, करते रहिथें वादा ।
झोरत हें उन आनी बानी, छोंड़ हमर बर खादा ।3।

बनत योजना सरकारी हे, रंग रंग के भारी ।
धन खुसरत हे बड़का मन घर, सुन्ना हमर दुवारी ।4।

काकर आगू रोवन गावन , दुःख सुनावन काला ।
भैरा हे सरकार निचट गा, बइठे पहिरे माला ।5।

शिक्षा के हथियार उबा के, हम तो कइसे लड़बो ।
सुन के फीस छाय बेहोशी, काला काला भड़बो ।6।

सेठ सकेले भरे खजाना, चपके  भर्री धनहा ।
पथरा पटकय हमरे छाती, साहत हवन किसनहा ।7।

मिलजुल के सब लड़बो भाई, तभे पार ला पाबो ।
हक ला अपन झटकबो जब जी , तब दू कौंरा खाबो।8।

3 comments:

  1. नवा ब्लॉग सिरजे बर बधाई। सुग्घर सार छन्द।

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  2. गुरुदेव सादर प्रणाम।सब आपके दिशा निर्देश अउ कृपा के प्रतिफल आय।

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  3. गुरुदेव सादर प्रणाम।

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