चोवा राम "बादल"के सार छंद
हिरदे भितरी परगे हावय, देखव संगी छाला ।
हाय गरीबी बैरी होगे, आँखी छागे जाला ।1।
जाँगर टोर कमाथन कतको, मिलय नहीं जी पसिया ।
लूट डरत हे मँहगाई हा, रोवय भइया घसिया।2।
नेता मन बस घूम घूम के, करते रहिथें वादा ।
झोरत हें उन आनी बानी, छोंड़ हमर बर खादा ।3।
बनत योजना सरकारी हे, रंग रंग के भारी ।
धन खुसरत हे बड़का मन घर, सुन्ना हमर दुवारी ।4।
काकर आगू रोवन गावन , दुःख सुनावन काला ।
भैरा हे सरकार निचट गा, बइठे पहिरे माला ।5।
शिक्षा के हथियार उबा के, हम तो कइसे लड़बो ।
सुन के फीस छाय बेहोशी, काला काला भड़बो ।6।
सेठ सकेले भरे खजाना, चपके भर्री धनहा ।
पथरा पटकय हमरे छाती, साहत हवन किसनहा ।7।
मिलजुल के सब लड़बो भाई, तभे पार ला पाबो ।
हक ला अपन झटकबो जब जी , तब दू कौंरा खाबो।8।
नवा ब्लॉग सिरजे बर बधाई। सुग्घर सार छन्द।
ReplyDeleteगुरुदेव सादर प्रणाम।सब आपके दिशा निर्देश अउ कृपा के प्रतिफल आय।
ReplyDeleteगुरुदेव सादर प्रणाम।
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