Saturday 3 August 2019

छन्न पकैया

   **हरेली तिहार(छन्न पकैया)**

छन्न पकैया छन्न पकैया, सावन हे मनभावन ।
भोले बाबा के पूजा सँग ,मनै हरेली पावन।।

 छन्न पकैया छन्न पकैया, गरवा लोंदी खाथे।
 अंडी पाना नून बँधाये, राउत बने खवाथे।।

 छन्न पकैया छन्न पकैया ,नइ तो धरय बिमारी ।
हे दशमूल दवाई बढ़िया ,खावव सब सँगवारी।।

  छन्न पकैया छन्न पकैया , चाउँर देवय मइया।
  सिंग दुवारी लीम डार ला,  खोंचय राउत भइया।।

 छन्न पकैया छन्न पकैया , कारीगर हा आथे।
 खीला ठोंक बाँध के घर ला, मान गउन ला पाथे।।

  छन्न पकैया छन्न पकैया, घर घर पूजा होथे।
  नागर जूड़ा वाहन बक्खर, ला किसान हा धोथे।।

 छन्न पकैया छन्न पकैया , मनय तिहार हरेली।
  भाँठा मा जब खो खो मातय,खेलयँ सबो सहेली।।

  छन्न पकैया छन्न पकैया, खुड़वा हा मन भाथे।
   फेंकत नरियर बेला भरके, कोनो दाँव लगाथे।।

  छन्न पकैया छन्न पकैया, बोरा दउँड़ त्रिटंगी।
 नौजवान मन डोर इचौला ,खेलयँ जमके संगी।।

  छन्न पकैया छन्न पकैया , खेल जमाये पासा।
  सकलायें सब गुड़ी सियनहाँ, नइये कहूँ हतासा।।

 छन्न पकैया छन्न पकैया, रच रच बाजै गेंड़ी।
नँगत मचयँ जब लइका मन जी,उठा उठा के ऍड़ी।।

  छन्न पकैया छन्न पकैया , गेंड़ी महिमा भारी।
 द्वापर युग मा पांडव मन हा, चढ़े रहिंन सँगवारी।।

  छन्न पकैया छन्न पकैया, हे रिवाज जी सुग्घर।
 हँसी-खुशी सब मना हरेली, चीला खाबो मनभर।।

     चोवा राम 'बादल'
      हथबन्द, छत्तीसगढ़

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