Thursday 13 September 2018

गणपति गणराज (कुण्डलिया छंद )

गणपति गराज (कुण्डलिया छंद )

हे गणपति गणराज जी , बिनती हे कर जोर ।
अँगना हमर बिराज लव, पइँया लागँव तोर ।।
पइँया लागँव तोर , अबड़ जोहत हँव रस्ता ।
आके नाथ उबार , मोर हालत हे खस्ता ।।
मँहगाई के मार , बाढ़ कर देहे दुरगति ।
भ्रष्टाचार के टाँग , टोर दव झटकुन गणपति ।।1

बड़का बड़का कान हे , बड़का हावय पेट ।
बाधा ला देथच पटक , लम्बा सोंड़ गुमेट ।।
लम्बा सोंड़ गुमेट , दुःख ला दूर भगा दे।
शिव गौरी के लाल , भक्त ला पार लगा दे ।।
दुनिया के जंजाल , हवय माया के खड़का ।
लाज रखौ गणराज , देव मा हावव बड़का ।।2

मंगल साजे आरती, लाड़ू भोग लगाय ।
माथ नवाँ के पाँव मा , श्रद्धा फूल चढ़ाय ।।
श्रद्धा फूल चढ़ाय , तोर जस ला मैं गावँव ।
विघ्नेश्वर गणराज , सबो सुख किरपा पावँव ।।
वक्रतुंड महकाय , कभू झन होवय अनभल ।
रिद्धि सिद्धि के संग , बिराजौ उच्छल मंगल ।।3

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